I dedicate this post to Kailash Gupta.- A Person who enjoying the beauty of nature
इन वादियों की ठंडक में,
ये मन हैं खोया।
सुकून मिला इस तन को,
आज ये भी ख़ुशी से रोया।
ये मन क्यों बस,
यही ठहरना चहाता हैं।
मेरी ना सुन,
क्यों ये बस अपनी ही चलाता हैं।
Prerna Mehrotra
29/3/2017