Prerna Mehrotra Gupta
9/7/2019
Tag: self realization
ये जो भी हो रहा है,कही ना कही, तुम्ही इसके इकलौते ज़िम्मेदार हो।
you are solely responsible for your sufferings and joy.
Prerna Mehrotra Gupta
7/6/2019
क्यों ज़रूरी है अच्छाई को अपनाना ??
Every moment creates some value. Just be happy and make others feel happy.
Prerna Mehrotra Gupta
21/6/2017
किसी को जब फर्क न पड़े
If people are not understanding your situation then try to make them realize their mistake through your love & compassion but also try to maintain your self-respect.
किसी को जब फर्क न पड़े,तुम्हारे रूठने से।
रिश्ता बिखर कर नहीं जुड़ता,
एक बार गलत तरीके से उसके टूटने से।
तो क्यों न वक़्त -वक़्त पर, अपनी-अपनी बात रखी जाये।
क्यों न दोनों मिल कर, अपना रिश्ता सजाये।
किसी को जब फर्क न पड़े, तुम्हारे न होने से,
चैन मिलेगा क्या तुम्हें, अकेले में कही रोने से,
अगर मिले, तो ज़रूर कही चुप के से रो लेना।
अपनों से नाता तोड़, बस अपनों से रुख न मोड़ लेना।
किसी को जब फर्क न पड़े, तुम्हारे दुख से,
एहसास कराओ उसको अपनी पीड़ा,अपने प्यार भरे सुख से,
तुम्हारा सच्चा प्यार ही उसको उसकी गलती का एहसास करायेगा।
तुम्हें मनाने एक दिन वो भी ज़रूर प्यार से आयेगा।
Prerna Mehrotra Gupta
16/6/2017
अपनी मैं प्यारी सखी सहेली
Thanks to myself for being a beautiful part of my life….
खुदसे कर दोस्ती,
मैंने ज़िन्दगी में सुकून कमाया है।
पैसे के ज़ोर पर नहीं, खरीदा,
खुद के संग बैठ, मैंने खुदको सजाया हैं।
मेरे जैसी दोस्त मुझे मिल नहीं पाती,
जो खुद की ना सुन, मैं दूसरे को देख जल जाती।
अपनी कला की कीमत, सिर्फ मैं ही जानती हूँ।
खुद पे है विश्वास, अपने जज़्बे को ही, बस मानती हूँ।
अपनी मंज़िल की सड़क, मैंने खुदने हैं बनाई।
खोके कही खुदमे,मैंने अपनी क्षमता जगाई।
Prerna Mehrotra Gupta
15/5/2017
एक एहसास ही तो हैं
One day I will remember these days with a tear and an absolute smile on my face…
Prerna Mehrotra Gupta
25/4/2017
क्या सच में
A boss can also learn from employees. Learn this fact before its too late…..
क्या सच में कोई बॉस भी,
एम्प्लोयी से सीख सकता हैं।
क्यों बड़ो को हमेशा ही
ऐसा लगता हैं ??
देखी मैंने दुनियाँ तुम सबसे ज़्यादा,
इसी के रहते मैंने करा ये इरादा।
तुम सब को सिखाने का ,
करा है मैंने खुदसे वादा।
काम का बोझ, इसलिए ही तो, मैंने खुद पे इतना लादा।
इतना काम कर, अब थक, मैं जाता हूँ।
बैठू जो कभी, तुम सब के संग,
तो खुदको ही भूल जाता हूँ।
सब कुछ अब खुदसे करना लगता नहीं अच्छा,
मैंने भी माना, कुछ कामों में ,मै भी हूँ तुमसे कच्चा।
तुमसे अधिक कोई लगे ना मुझको सच्चा।
मेरी डाट खाकर भी, तुमने मुझे सिखाया।
मुझे टूटता देख, तुमने फिरसे उम्मीद का दिया जलाया।
आँखों में भर आँसू, मैं तुम्हे प्यार से गले लगाना चाहता हूँ,
किसी और से नहीं अब बस मैं सिर्फ तुमसे ही सीखना चाहता हूँ।
बड़ा बन कर, मैंने घमंड का दीप, अपनी ही दिल में जलाया था।
बस खुद को बड़ा मान कर, मैंने तुम सबको भुलाया था।
ऐसी गलती अब फिर ना करूँगा दुबारा,
तुम्हें दूर कर, फिर कौन बनेगा मेरा सहारा ???
Prerna Mehrotra
24/4/2017
ज़रा सोचो
जब पाकर सब कुछ खोना ही हैं ,तो हम यहाँ करने क्या आए हैं??
छोड़ के जाना है बहुत कुछ, जबकि लेकर यहाँ हम कुछ नहीं आए हैं।
जब मिलके यहाँ बिछड़ना ही हैं, तो क्यों हमने दूसरों से उम्मीद लगाई हैं ??
खुद पर होकर निर्भर,बहुत से वीरों ने दूसरों को भी राह दिखाई है।
जब सबके दिल में बसे है भगवान, तो क्यों दूसरों को सताए रे ??
जो देखे सबमे उसकी ऊर्जा वो उस तक ही पहुँच जाए रे।
Prerna Mehrotra
4/4/2016
जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।
sometimes people take time to understand their mission of life and great learning comes from a mistake so just be true to yourself and accept your circumstances the way it is because life is not always been a bed of roses there has been a difficult time too which will help you in realizing your true potential.Just listen to your heart and use your brain and move forward in your life.
जो दिल ने कहां बस वही सुना।
सुनके अपने दिल की आवाज़
हर ख्वाब फिर मैंने बुना।
तो क्या हुआ?
जिस राह पर चली वो मुझे समझ नहीं आई।
बदल के अपनी राह को,
मैं खुदको समझ तो पाई।
Prerna Mehrotra
18/11/2014